बंगाल में हो न हो, सीबीआई जांच की आंच से बचना मुश्किल। बेपरवाह दीदी का फेसबुक पर सीबीआई को लेकर जनमतसंग्रह!प्रशासनिक कवायद तेज।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
ममता दीदी कर्नाटक में कांग्रेस की भारी जीत को नजरअंदाज करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी मुहिम तेज कर दी है और इसके लिए उन्होंने सोशल नेटवर्किंग का सहारा लिया है। उन्होंने फेसबुक मित्रों से सीबीआई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर राय मांगी है।कांग्रेस को सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाले पर बेहद तल्ख टिप्पणी कर तगड़ा झटका दिया है। कोलकाता हाईकोर्ट ने भी उन्हें बड़ी राहत दी है, जबकि शारदा चिट फंड फर्जीवाड़े पर दायर जनहित याचिकाओं को १४ मई तक स्थगित करते हुए हाईकोर्ट ने कह दिया कि शारदा समूह नाम की कोई कंपनी ही नहीं है। राज्यभर में शारदा समूह के खिलाफ आम निवेशकों, एजंटों और दूसरे लोगों के दर्ज सैकड़ों मुकदमा का हश्र भी तय हो गया इसी के साथ। इसी बीच पुलिस को देश विदेश में सुदीप्त सेन के एक हजार से ज्यादा बैंक खातों का पता चला है। इनमें से सिर्फ २६५ सुदीप्त के नाम से हैं, बाकी बेनामी हैं। कुछ व्यक्तियों के नाम पर और बाकी संस्थाओं के नाम पर। पर इन खातों से कोई पैसा निकलने वाला नहीं है।पुलिस की जिरह में सुदीप्त ने स्वीकारोक्ति की है कि २००८ से अबतक उनकी संस्था ने आम निवेशकों से इक्कीस सौ करोड़ रुपये जमा करा लिये। अब दीदी को समझ में आ गया है कि रिकवरी मुश्किल है तो पांच सौ करोड़ के फंड से मुआवजा देना भी असंभव है। इस हालत में दीदी ने भविष्य में शारदा जैसे हादसे को टालने के लिए राज्य सरकार की ओर से एक बचत योजना शुरु की है। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक इस योजना में निवेशकों को कैसे पैसे वापस होंगे , इसकी कोई दिशा नहीं है। इसी के बीच कोलकाता हाईकोर्ट में हलफनाम दायर करके सीबीआई की ओर से जानकारी दी गयी है कि वह बंगाल में शारदा फर्जीवाड़े की जांच के लिए तैयार है। सीबीआई की आर्थिक अपराध दमन शाखा के अधीक्षक रंजन विश्वास ने हलफनामा सौंपा। सीबीआई जांच संबंधित जनहित याचिकाओं पर सुनवाई से पहले यह हलफनामा का अहम माना जा रहा है।सूत्रों से पता चला है कि असम और त्रिपुरा के बाद अब बिहार, ओडिशा और झारखंड प्रशासन भी सीबीआई जांच कराने की ओर बढ़ रहा है। हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा सौंप कर सीबीआई जांच का विरोध किया है।
पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्टकी इस टिप्पणी पर अपने फेसबुक प्रशंसकों की राय मांगी है कि सीबीआई अपने मालिक की आवाज में बात करने वाला पिंजड़े में बंद तोता बन गई है।कोलगेट जंच रिपोर्ट के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हाथों सीबीआई की तीखी आलोचना पर कोई टिप्पणी किए बिना ममता ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा, 'कृपया देखें माननीय सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है - सीबीआई अपने मालिक की आवाज में बात करने वाला पिंजड़े में बंद तोता बन गई है।' मुख्यमंत्री ने अपने पोस्ट में कहा, 'आप क्या सोचते हैं? कृपया विचार दें।' गौरतलब है कि कोलकाता हाई कोर्ट ने चिटफंड घोटाले में सीबीआई जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी और शारदा समूह के वकीलों एवं राज्यसभा के सदस्य कुणाल घोष को सोमवार तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति जॉयमाल्यो बागची की खंडपीठ ने शारदा समूह की ओर से उपस्थित होने वाले वकील को निर्देश दिया कि समूह कंपनी के प्रबंधन की तरफ से वकालतनामा पेश किया जाए। साथ ही सोमवार तक एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जिसमें याचिकाओं पर इसके तर्क हों।
अब बंगाल में सीबीआई जांच हो या नहीं, दीदी सीबीआई जांच की आंच से बच नहीं पा रही हैं। उनके रेलमंत्री रहते रेलवे में हुई नियुक्तियों के मामले में रेलवे गेट के संदर्भ में सीबीआईजांच करने जा रही है। दीदी ने जैसे थोक दरों पर परिवर्तनपंथी बुद्धिजीवियों को विभिन्न रेलवे कमिटियों में भारी भरकम वेतन भत्ते पर नियुक्त किया था, अब उस मामले में भी सीबीआई जांच होने की आशंका है।रेलवे बोर्ड के वर्तमान और पूर्व चेयरमैन की नियुक्ति में भ्रष्टाचार हुआ कि नहीं, सीबीआई इसकी जांच करेगी। समस्या तो यह है कि इन दोनों की नियुक्ति रेल मंत्रालय तृणमूल के हाथों में रहते वक्त हुई थी।रलवे के सत्रह जोन के जनरल मैनेजरों की नियुक्तियों की भी जांच होने जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कोयला घोटाले की सुनवाई के दौरान सरकार को सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट देखने और उसमें बदलाव करने पर जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि स्टेटस रिपोर्ट में सरकार की ओर से किए गए बदलाव से उसका भाव ही बदल गया है।कोर्ट ने सीबीआई को सरकार का 'तोता' बताते हुए पूछा कि सरकार बताए कि वह सीबीआई की आजादी सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाएगी? कोर्ट ने इस बारे में अटर्नी जनरल से 3 जुलाई तक हलफनामा देने को कहा है।न्यायालय ने कहा, 'आप (सीबीआई) इतने संवेदनशील मामले में भी अपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आपको 15 साल पहले (विनीत नारायण मामले में) ताकतवर बनाया था। आपको खुद को चट्टान की तरह सख्त बनाना चाहिए, लेकिन आप रेत की तरह भुरभुरे हैं। हम बहुत प्रोफेशनल, बहुत उच्च कोटी की और बेहद सटीक जांच चाहते हैं।'ममता दीदी ने मौका चूकने का अवसर न देते हुए सुप्रीम कोर्ट की इसी टिरप्पणी पर फेसबुक पर राय मांगी है।अब इस मामले की अगली सुनवाई अब 10 जुलाई को होगी। कोर्ट ने कोयला घोटाले के जांच अधिकारी उप-महानिरीक्षक (डीआईजी) रवि कांत मिश्रा को आईबी से वापस सीबीआई में भेजने के लिये केंद्र से तुरंत कदम उठाने को भी कहा है।सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने बताया कि कोर्ट ने आदेश दिया है कि कोयला घोटाले की जांच कर रहे अधिकारी बाहर के किसी आदमी को रिपोर्ट नहीं सकते। न मंत्री, न अफसर और न ही सरकारी वकील रिपोर्ट देख सकते हैं। इस पूरे प्करण से सीबीआई के खिलापफ दीदी की मुहिम को भारी बल मिला है।
बहरहाल, दीदी ने अपनी प्रशासनिक छवि सुधारने की कवायद शुरु कर दी है। उद्योग मंत्रालय की कोर कमिटी के अध्यक्षपद से उद्योगमंत्री को हटाकर चहेते लोगों को उसमें शामिल करके राइटर्स में बैठक करके उन्होने उद्योग और जमीन नीतियों को ज्लद ही अंतिम रुप देने का भरोसा दिलाया है। पर जमीन अधिग्रहण के बारे में उनकी राय बदली हो, ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है।दीदी ने उद्योग जगत से वायदा जरुर किया है कि राज्य में औद्योगिक विकास के लिए भूमि अधिग्रहण की कोई समस्या नहीं होगी। पर उद्योग जगत के भरोसा वे इस वायदे से कैसे जीत लेंगी, यह बताया नहीं जा सकता।
शारदा समूह घोटाले के बाद पश्चिम बंगाल में एक के बाद एक गैर कानूनी पोंजी योजनाएं सामने आ रही हैं। राज्य की जनता को इनसे बचाने के लिए ममता बनर्जी की सरकार अपनी जमा योजना शुरू कर सकती है। खुद मुख्यमंत्री ने आज कहा कि फर्जी योजनाओं से ग्रामीण लोगों को बचाने और बेहतर निवेश विकल्प मुहैया कराने के लिए सरकार जमा योजना शुरू कर सकती है। बनर्जी ने कहा, 'बढ़ती वित्तीय असुरक्षा को देखते हुए जमा की उचित सुविधा मुहैया कराने की खातिर हम सामाजिक सुरक्षा योजना पर विचार कर रहे हैं। इससे लोगों की रकम महफूज रहेगी और उन्हें अच्छा और उचित प्रतिफल मिलना भी तय हो जाएगा। इस बारे में लोगों की राय जानने के लिए हम जल्द ही वित्त विभाग की वेबसाइट पर प्रस्ताव डालेंगे।'
उन्होंने कहा कि बैंक और डाकघर गरीब ग्रामीणों को बचत के लिए पर्याप्त विकल्प उपलब्ध नहीं करा रहे हैं, जिसकी वजह से राज्य में चिटफंड योजनाएं कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की यही जरूरत पूरी करने के मकसद से सरकारी वित्तीय योजना लाई जाएगी। प्रस्तावित वित्तीय योजना के लिए नया कानून भी बनाया जा सकता है।
बनर्जी ने बताया, 'हमें इसके लिए विधेयक को मंजूरी दिलानी पड़ सकती है। हम जनता के सभी वर्गों से मशविरा करेंगे। हम फर्जीवाड़े की योजनाओं में रकम गंवाने वाले आम आदमी से लेकर विशेषज्ञ, आर्थिक और कारोबारी अखबारों तक हर किसी की राय लेंगे।' इस योजना को 'सोशल सिक्योरिटी स्कीम' या 'वी द पीपुल स्कीम' का नाम दिया जा सकता है। बनर्जी ने साफ किया कि इसमें चिटफंड की तरह ऊंचा प्रतिफल नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा, 'इसमें शायद ऊंचा प्रतिफल नहीं मिलेगा, लेकिन सरकार के शामिल होने के कारण सुरक्षा जरूर मिलेगी, जो चिटफंड के हाथों धोखा खाए लोगों के लिए ज्यादा मायने रखती है।' हालांकि उन्होंने इस योजना के बारे में विस्तार से नहीं बताया क्योंकि अभी यह शुरुआती चरण में ही है। सरकार ने अभी यह भी तय नहीं किया है कि इस योजना को कब पेश किया जाएगा।
अभी राज्यभर में शारदा समूह के खिलाफ मामला दायर हो रहा है। बतौर नमूना उत्तर २४ परगना में २८, दक्षिण २४ परगना में ३०,विधावन नगर कमिस्नरेट और बैरकपुर कमिश्नरेट में सात सात,हावड़ा कमिश्नरेट में एक तो आसनसोल दुर्गापुर कमिश्नरेट में २, वर्दमान में ६, बांकुड़ा में ४,वीरभूम और पूर्व मेदिनीपुर में आठ आठ, मुर्शिदाबाद में दस, नदिया में छह, मालदह में सात,कूचबिहार में पांच, उत्तर दिनाजपुर में चार,दक्षिण दिनाजपुर में २८,जलपाईगुड़ी में १०, सिलिगुड़ी में छह मकदमे दर्ज होने के अलावा बाकी जगह में बी बड़ी संख्या में मुकदमे शारदा समूह के खिलाफ दायर किया गा है। इससे इस चिटफंड गोरखधंधे के प्रभावक्षेत्र का अंदाजा तो लगता है लेकिन इन मामलों के निपटारे का क्या होगा, पुलिस भी नहीं बता सकती। जब हाईकोर्ट ने कह ही दिया कि शारदा समूह का कोई अस्तित्व ही नहीं है और ज्यादातर कंपनियां फर्जी हैं, तो न्यायिक प्रक्रिया का नतीजा क्या होगा . यह भी समझना मुश्किल है।
शारदा चिट फंड घोटाले से प्रभावित लोगों के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने 500 करोड़ रुपये के राहत कोष की घोषणा जरूर की है लेकिन सिगरेट पर कर बढ़ा 150 करोड़ रुपये अर्जित करने के प्रयास पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं।
25 मई को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रभावित लोगों को मुआवजा देने के लिए 500 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की थी। इनमें 150 करोड़ रुपये सिगरेट पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त कर लगा कर संग्रह करने की येाजना था। लेकिन एक पखवाड़ा बीतने के बाद ऐसा नहीं होता दिख रहा है।
राज्य के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि आईटीसी के चेयरमैन वाई सी देवेश्वर ने पिछले सप्ताह बनर्जी से सिगरेट पर अतिरिक्त कर लगाने के संबंध में लंबी बातचीत की थी। हालांकि आईटीसी ने इस बैठक के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की। यह पूछे जाने पर कि राज्य सरकार मुद्दे पर दोबारा विचार करेगी, चटर्जी ने कहा कि वित्त विभाग को इस बारे में फैसला करना है। राज्य सरकार नए कर (मौजूदा समय में 35 प्रतिशत) के संबंध में अधिसूचना जारी कर चुकी है। कारोबारी सूत्रों का कहना है कि अगर सरकार नए कर पर कायम रहती है तो भी 150 करोड़ रुपये जुटाना मुश्किल होगा क्योंकि सभी पड़ोसी राज्यों में सिगरेट पर मूल्य वर्धित कर (वैट) कम है।
बिहार में सिगरेट पर वैट 30 प्रतिशत है, जबकि झारखंड और अन्य राज्यों में तंबाकू उत्पादों पर यह 20 से 25 प्रतिशत के बीच है। उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार यह महसूस कर रही है कि 25 प्रतिशत की दर पर यह अपेक्षित रकम नहीं जुटा पाएगी। इस बात पर तो संदेह व्यक्त ही किए जा रहे हैं कि सिगरेट पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत कर बढ़ाने से 150 करोड़ रुपये जुटाए जा सकेंगे या नहीं, साथ ही 500 करोड़ रुपये के राहत कोष में बाकी रकम कहां आएगी, इसे लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है। तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व ने हाल में ही संकेत दिए थे कि राज्य सरकार केंद्र से गुहार लगा सकती है।
इसके पीछे इसका तर्क है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)ने समय रहते कदम नहीं उठाए जिस वजह से सारदा जैसी घटना हुई। 500 करोड़ रुपये का राहत कोष भी लोगों की रकम लौटाने के लिए अपर्याप्त होगा। सारदा मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सारदा का रोजाना संग्रह करीब 3 करोड़ रुपये के आस-पास रहा होगा। आयोग के कार्यालय पर जुटती भीड़ इसकी गवाह है।
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