Thursday, September 12, 2013

दीदी का उत्कर्ष अभियान।स्कूलों का निरीक्षण करेंगी मुख्यमंत्री।

दीदी का उत्कर्ष अभियान।स्कूलों का निरीक्षण करेंगी मुख्यमंत्री।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


देशभर में स्कूलों में पढ़ाई होती है या नहीं,सिक्षा कास्तर क्या है,इसकी निगरानी के लिए स्कूल निरीक्षक होते हैं। बंगाल में भी हैं। पर स्कूली शिक्षा के उत्कर्ष की जांच के लिए मां माटी सरकार अब स्कूल निरीक्षकों पर ही निर्भर नहीं रहेगी।इसके लिए दीदी खुद स्कूलों में बिना पूर्व सूचना के अचानक पहुंचकर बच्चों से पूछताछ करेंगी।जैसे स्कूल निरीक्षक छात्रों से तमाम तरह के सवाल पूछकर उनके स्तर की जांच करते हैं, एकदम वैसा ही करने वाली हैं दीदी।


इस कार्यक्रम को उत्कर्ष अभियान का नाम दिया गया है। नाम से ही जाहिर है कि इसका लक्ष्य स्कूली शिक्षा का उत्कर्ष प्राप्त करना है।


मंत्री और अधिकारी भी करेंगे निरीक्षण


अगले साल से राज्य सरकार सर्वोच्च स्तर से स्कूलों के निरीक्षण की व्यवस्था बना रही हैं। सिर्फ मुख्यमंत्री ही नहीं, दूसरे शिक्षक भी मौके पर जाकर स्कूलों का निरीक्षण करेंगे।अब सांसद,विधायक और जिला परिषदों के सभापति भी स्कूल का निरीक्षण करेंगे।जिलाधीश. जिला पुलिस अधीक्षक और जिला परिषद के सदस्य भी निरीक्षण करेंगे।


स्कूल निरीक्षक क्या करेंगे


सवाल यह है कि जो स्कूल निरीक्षक जिलों में तैनात हैं, वे आखिर क्या करेंगे। उनके मूल्यांकन के उलट हुए ऐसे वीवीआईपी निरीक्षण तो संबंधित स्कूल के शिक्षकों, प्रबंधन और निरीक्षकों के खिलाफ क्या कार्रवाई होगी,यह भी साफ नहीं है। लेकिन इस योजना के खुलासेसे हड़कंप मच गया है।


मुख्य सचिव से लेकर बीडीओ तक


मंत्री और अधिकारी अलग अलग दलों में बंटकर निरीक्षण करेंगे। मुख्यमंत्री के साथ भी ैसा ही कोईदल जायेगा।इस दल में राज्य के मुख्य सचिव से लेकर स्थानीय बीडीओ तक को शामिल कर लिया जायेगा।


नये पाठ्यक्रम की जांच

नये पाठ्यक्रम और नयी शिक्षा पद्धति लागू करने के क्या परिणाम हुए हैं, इस कवायद में इसकी भी जांच की जायेगी।


हरी झंडी का इंतजार


शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु के मुताबिक योजना तैयार है और मुख्यमंत्री की हरी झंडी मिलते ही इसी नवंबर में उस पर अमल भी हो सकता है।


दीदी की पहल


मालूम हो कि दीदी ने बीएड किया हुआ है। राजनीति में आने से पहले उन्होंने टीचिंग भी की है। कीमतों पर नियंत्रण के लिए वे बाजारों में जाकर जायजा लेती रही हैं। अस्पतालों में जाकर उन्होंने चिकित्सा इंतजाम भी सुधारने की कोशिश की है। अब शिक्षा की बारी है।


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