Wednesday, May 8, 2013

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले का अरलमपल्ली गाँव . गाँव को कई बार जलाया गया था . गाँव के युवा दूधी जोगा ने सारे अत्याचार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गुहार करी . इस से चिढ़ कर सरकार का अरलमपल्ली गाँव पर सरकार का कहर बार बार टूटने लगा .

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले का अरलमपल्ली गाँव . गाँव को कई बार जलाया गया था . गाँव के युवा दूधी जोगा ने सारे अत्याचार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गुहार करी . इस से चिढ़ कर सरकार का अरलमपल्ली गाँव पर सरकार का कहर बार बार टूटने लगा .
  • छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले का अरलमपल्ली गाँव . गाँव को कई बार जलाया गया था . गाँव के युवा दूधी जोगा ने सारे अत्याचार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गुहार करी . इस से चिढ़ कर सरकार का अरलमपल्ली गाँव पर सरकार का कहर बार बार टूटने लगा .

    हमारे साथियों ने सरकार द्वारा उजाड दिये गये नेन्द्रा गाँव को दुबारा बसा दिया था . स्वतंत्रता दिवस आने वाला था . दिल्ली से एक महिला पत्रकार इन गाँव वालों के भारत की आजादी के बारे में उनके विचार प्रकाशित करने के मकसद से आयी थी . 

    तभी हमें पता चला कि पास के गाँव अरलमपल्ली में पुलिस ने कुछ गाँव वालों को मार दिया है . मारे गये इन लोगों में एक आदिवासी लड़की भी है . 

    हम लोग नदी के इस तरफ अपनी गाड़ी खड़ी कर के गाँव में गये . मारी गई लड़की के माता पिता ने बताया कि उनकी बेटी लकड़ी लेने गई हुई थी . पुलिस वालों ने उसे देखा तो उसे पकड़ने भागे . लड़की तेज़ी से भाग कर उनकी पकड़ से बचने की कोशिश कर रही थी .लड़की को हाथ से निकलते देख कर पुलिस ने उस पर गोली चला दी . लड़की मर गई . पास के खेत में एक और आदिवासी युवक हल चला रहा था . वह यह सब देख कर चिल्लाते हुए भागा . पुलिस ने उस आदिवासी युवक को भी गोली मार दी . दूसरे गाँव के तीन और लोग रिश्तेदारी में आये हुए थे . वो भी वहीं बैठ कर ताड़ी पी रहे थे . पुलिस ने उन्हें भी गोली से उड़ा दिया . 

    लड़की का नाम जोगी था . वह बीस साल की थी . पुलिस ने उसके कपडे वहीं फाड़ कर फेंक दिये . ईसके बाद पुलिस ने अपने साथ लाई हुई नक्सलियों जैसी वर्दी जोगी की लाश को पहनाई . इसके बाद जोगी की लाश के पैर में रस्सी बाँध कर बाकी मारे गये गाँव वालों की चार लाशों के साथ घसीटते हुए ले गये .

    हमने लकड़ी का वह गट्ठर भी देखा जो मरने से पहले जोगी अपने सिर पर रख कर लेकर घर आ रही थी . मारे गये आदिवासी युवक की पत्नी से मिले उसका गोद का बच्चा था .

    हमने गाँव वालों से इस घटना के बारे में लिख कर देने के लिये कहा . 

    लौटते समय जोगी के माता पिता और युवक जोगा की पत्नी को हमने अपने साथ ले लिया . जब हम नदी के इस पार आये तो हमने देखा कि हमारी गाड़ी गायब है . हमने दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक को फोन लगाया . उन्होंने बताया कि हाँ हमारी गाड़ी को जगरगुंडा सलवा जुडूम कैम्प में ले जाया गया है और हम जाकर अपनी गाड़ी ले जा सकते हैं . 

    मैं और वो दिल्ली से आयी महिला पत्रकार जब सलवा जुडूम कैम्प तक पहुँचे तो रात के दस बज चुके थे . हमने अपने साथ आये हुए मृतकों के परिवार वालों को पास के जंगल में छिपा दिया .

    हमें दूर से ही पुलिस ने ललकारा और हमें वहीं रुक जाने के लिये कहा . हम अँधेरे में खड़े हो गये, बारिश हो रही थी . आधे घटे बाद हमें कैम्प के अंदर आने की अनुमति मिली . हमसे करीब एक घंटे तक पुलिस द्वारा पूछ ताछ की जाती रही .

    पूरे समय सलवा जुडूम के एसपीओ हमें मारने के लिये शोर मचाते रहे . 

    अन्त में पुलिस ने हमें अपनी जीप लेकर जाने के लिये कह दिया . हम जैसे ही जीप लेकर कैम्प से बाहर निकले हमारी जीप के आगे आगे सलवा जुडूम के एसपीओ भागने लगे . इन लोगों के हाथों में हथियार थे . ये लोग मारे गये लोगों के परिवार जनों की हत्या करना चाहते थे . पीछे पीछे पुलिस वाले इन्हें रोकने के लिए भागे . तभी किसी ने हमारी जीप के सामने एक लकड़ी का लट्ठा डाल दिया . किसी ने जीप का दरवाजा खोल दिया . मुझे एसपीओ लोगों ने जीप से बाहर खींच लिया , एक एसपीओ ने मुझ पर कुल्हाड़ी चलाई . लेकिन तभी सीआरपीएफ के एक सिपाही ने वह कुल्हाड़ी पकड़ ली . मैं वापिस जीप में बैठ गया . पुलिस एसपीओ लोगों को वापिस कैम्प के भीतर ले गई . हम लोग आगे बढ़े . मारे गये आदिवासियों के परिवार जन आगे जंगल में डरे हुए बैठे थे . 

    हमने उन्हें अपने साथ बिठाया और आधी रात बीतने के बाद अपने आश्रम में पहुँचे . मैं इन्हें लेकर पुलिस अधीक्षक से मिला .शिकायत की गई . बयान दर्ज़ कराये गये . लेकिन जैसे अन्य मामलों में हुआ . इस मामले में भी अभी तक कुछ नहीं हुआ .
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    • Rachit Dixit Himanshu Bhai 
      salute 
      apka sanghars bekaar nahi jayega
      4 hours ago via mobile · Like · 1
    • दिनेशराय द्विवेदी कुछ नहीं होने का है। जब तक छत्तीसगढ़ में भाजपा कांग्रेस की सरकारें और मौजूदा पुलिस रहेगी। ये सब कारपोरेटस् के दलाल हैं। वे चाहते हैं कि आदिवासी बिलुकुल खत्म हो जाएँ या छत्तीसगढ़ के जंगलों को छोड़ दें। फिर चाहे वे मरें या जिएँ। कारपोरेटस जंगलों को नष्ट कर वहाँ से सारी जमींदोज प्राकृतिक संपदा लूट लें।
      4 hours ago · Like · 4
    • Shailendra Deogam भयानक अनुभव
      4 hours ago · Like · 1
    • Vivekanand Tripathi सरकार बड़े शैतानी ढंग से आदिवासियों से ही आदिवासियों को मरवा रही है. इन SPOs को हिमांशु कुमार हों या कोई पत्रकार या कोई लोकल आदिवासी, उससे क्या लेना देना. उनके लिए सब धान बाईस पसेरी. किसी को भी मार देंगे. कसाई के लिए सारे बकरे, बकरे ही हैं. CRPF भले ही कुछ अंतर करे. शोषण व आतंक पर आधारित सरकार देखें कब तक चलती है?
      4 hours ago · Like · 3
    • Ajay Kumar Durbhagyapurn
      3 hours ago via mobile · Like · 1
    • Sheeba Aslam Fehmi mujhe ab samajh me aata hai koi insaan human-bomb kaise ban sakta hai.... inta andhera ho to kuchh bhi ho sakta hai.

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