Monday, September 16, 2013

Fwd: Rihai Manch- निमेष रिपोर्ट पर अमल न कर सिर्फ उसे सार्वजनिक कर दोषी पुलिस और आईबी अधिकारियों को बचाने की कोशिश- मो0 शुऐब. Indefinite dharna to bring Khalid Mujahid's killers to justice completes 118 Days.





RIHAI MANCH
(Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism)
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निमेष रिपोर्ट पर अमल न कर सिर्फ उसे सार्वजनिक कर दोषी पुलिस और आईबी
अधिकारियों को बचाने की कोशिश- मो0 शुऐब
निमेष रिपोर्ट पर अमल के लिए रिहाई मंच ने विधान सभा पर डेरा डाला, शुरू
हुयी भूख हड़ताल, सम्मेलन 19 सितम्बर को
आजमगढ़ के मसीहुद्दीन संजरी, बनारस के लक्ष्मण प्रसाद और फैजाबाद के
गुफरान सिद्दीकी बैठे भूख हड़ताल पर

लखनऊ, 16 सितम्बर 2013, रिहाई मंच धरना 118 वां दिन। रिहाई मंच के
अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि आज जिस तरह से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
ने आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट आंदोलन की दबाव में सदन में रखते हुए
सार्वजनिक किया उससे एक बात तो साफ हुआ है कि सरकार, एटीएस और आईबी के
हौसले पस्त हो गए हैं और आंदोलनकारी जनता के हौसले बुंलंद हुए हैं। अब यह
रिहाई आंदोलन नए तेवर के साथ हिन्दुस्तान की तारीख से आतंकवाद के खात्मे
की जंग को मंजिल तक पहुंचाएगा। घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन के तहत आज
रिहाई मंच आजमगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी, बनारस से आए लक्ष्मण
प्रसाद और फैाजाबाद से आए गुफरान सिद्दीकी भूख हड़ताल पर बैठे।

मोहम्मद शोएब ने कहा कि आरडी निमेष रिपोर्ट के आज सार्वजनिक होने के बाद
यह बात अब साफ हो गयी है कि एसटीएफ, एटीएस और आईबी के लोग आतंकवाद के नाम
पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को झूठी बरामदगी के साथ गिरफ्तार करते हैं।
लेकिन अफसोस कि सरकार ने यह निमेष कमीशन की रिर्पोट जो उसके पास 31 अगस्त
2012 से ही है को जारी करने में साल भर से ज्यादा समय लगा दिया। होना तो
यह चाहिए था कि उसी समय सपा सरकार रिपोर्ट को सार्वजनिक कर देती पर उसके
ऐसा न करने से आपराधिक पुलिस और आतंकवादी वारदातों को अंजाम देने वाली
आईबी ने 18 मई को खालिद मुजाहिद की हत्या कर दी। पूरे मुस्लिम समाज समेत
इंसाफ पसन्द अवाम को इस घटना ने दहला दिया पर जिस बहादुरी के साथ रिहाई
मंच ने तेज गर्मी मेें अनिश्चित कालीन धरना शुरु किया और अखिलेश यादव को
मजबूर किया कि वो निमेष कमीशन पर अमल करे और चार जून को अखिलेश यादव को
बड़े बेमन से इस रिपोर्ट को स्वीकारना पड़ा। पर तमाम दबाओं और बीच में
रमजान के महीने में भी यह धरना लगातार चलता रहा और आज जिस तरह से फिर से
अखिलेश यादव ने वादा खिलाफी करते हुए बेगुनाहों के आंदोलन के दबाव में
रिहाई मंच के धरने के 118 वें दिन निमेष रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया
उसने अब यह बात स्थापित कर दिया है कि देश की एसटीएफ और आईबी जैसी
एजेंसियों बेगुनाह मुस्लिमों को आतंकवादी मामले में फंसाती हैं।

मोहम्मद शुऐब ने कि अब जब रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी हैं और यह बात भी
सामने आ गई है कि एसटीएफ ने अपने पास मौजूद आरडीएक्स जैसे विस्फोटक
पदार्थों को मरहूम मौलाना खालिद और तारिक के पास से दिखाया था तो ऐसे में
इन दोषी पुलिस अधिकारी विक्रम सिंह, बुजलाल, मनोज कुमार झां, चिरंजीव नाथ
सिन्हा, एस आनंद समेत अन्य पुलिस अधिकारियों और आईबी अधिकारियों को
तत्काल जेल भेजा जाए। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से अमिताभ यश जैसे पुलिस
अधिकारियों ने मरहूम मौलाना खालिद मुजाहिद के साथ बुरा बर्ताव किया था,
प्यास लगने पर पेशाब और सूअर का मांस खिलाया, आज वक्ता आ गया है कि इंसाफ
पसन्द समाज एकजुट हो जाए और इस जुल्म के खात्मे के लिए पिछले 118 दिनों
से चल रहे रिहाई मंच के धरने में शिरकत करे। क्योंकि इन लोगों ने इस बात
को कहा और कह कर दिखा दिया कि जब तक इंसाफ नहीं मिलता तब तक हम धरने पर
रहेंगे और इस आंदोलन की यह बड़ी कामयाबी है कि अमूमन सत्र के पहले दिन ऐसी
कोई कार्यवाई नहीं होती पर रिहाई आंदोलन से डरी सरकारनें निमेष कमीशन को
सार्वजनिक कर दिया।

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि जिस
तरीके से रिहाई मंच ने सरकार को निमेष रिपोर्ट स्वीकार करने और आज
सार्वजनिक करने को मजबूर किया है वह इस आंदोलन की एक आंशिक कामयाबी है और
इसके बाद अब हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है क्योंकि खालिद मुजाहिद अब
दुनिया में नहीं हैं पर अवाम के बल पर उनके न रहने पर भी जिस तरीके से
आईबी के खिलाफ अवामी तहरीक चली उसने मुस्लिम समुदाय के हौसले को बुलंद कर
दिया है। निमेष कमीशन के सार्वजनिक होने के बाद सवाल उठता है कि जब तारिक
और खालिद बेगुनाह हैं तब घटना को किसने अंजाम दिया। ऐसे बहुतों सवाल
सीआरपीएफ कैंप रामपुर मेें हुए कथित आतंकी हमले में हैं जिसमे नए साल के
जश्न में शराब के नशे में धुत नौजवानों ने आपस में गोलीबारी कर ली जिसे
आतंकवादी घटना बताकर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को जेलों में सड़ाया जा रहा
है। अब ऐसे में अगर सरकार सचमुच आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुसलमानों
को छोड़ना चाहती है तो उसको यूपी में हुई सभी आतंकी वारदातों की
पुर्नविवेचना करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एटीएस और आईबी के कारनामों की
पड़ताल करानी ही होगी। क्योंकि जिस तरीके से 2005 में वाराणसी में चाहे वो
संकट मोचन मंदिर, कैंट स्टेशन और दश्वाश्वमेध का मामला हो या फिर 2007
में गोरखपुर सीरियल ब्लास्ट इन सभी घटनाओं ने हिन्दू और मुसलमानों के बीच
एक बैर फैलाने का काम किया गया और यह काम देश की सुरक्षा एजेंसियों और
आईबी की करतूत है।

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं राजीव यादव और शाहनवाज आलम ने कहा कि
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मानसून सत्र में निमेष कमीशन रिर्पोट को
एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ रखने का वादा किया था। रिपोर्ट को सिर्फ सदन
में रखना मुसलमानों को धोका देने की कोशिश है। क्योंकि निमेष आयोग
रिपोर्ट कागज का पुलिंदा नहीं है बल्कि इसका प्रमाण है कि मुसलमानों को
एक साम्प्रदायिक रणनीति के तहत आईबी और पुलिस आतंकवाद के झूठ मामलों में
फंसाती है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर सचमुच
गम्भीर है तो उसे तारिक और खालिद की चार्जशाीट को भी खारिज करना चाहिए और
पूरे मामले की नये सिरे से पुर्नविवेचना करानी चाहिए। उसे तारिक पर चल
रहे मुकदमे को तत्काल रोकना चाहिए और उन्हें पेरोल या अंतरिम बेल पर
छोड़ना चाहिए।

आजमगढ़ से आए मुस्लिम मजलिस के नेता शाहआलम शेरवानी, भागीदारी आंदोलन के
पीसी कुरील, जैद अहमद फारूकी औ भारतीय एकता पार्टी के मोईद अहमद ने कहा
कि जिस तरीके से कल 15 सितंबर को विधासभा सत्र की पूर्व संध्या पर रिहाई
मशाल मार्च निकालकर चेतावनी दी और सरकार ने आज दोषी पुलिस व आईबी
अधिकारियों को बचाने के लिए रिपोर्ट को सिर्फ सार्वजनिक किया है उससे
अवाम की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। आज रिहाई मंच के संघर्षशील साथी 118
दिन बाद भी बिना थके बिना रुके भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं ऐसे में हमारी
अपनी जिम्मेदारी है कि सुबह, दोपहर, शाम, रात चाहे जिस समय भी वक्त निकले
हम विधानसभा धरना स्थल पर पहुंचकर आंदोलनकारी साथियों के हौसले को बढ़ाएं।

यूपी की कचहरियों में 2007 में हुए धमाकों में पुलिस तथा आईबी के
अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की
न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर
कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और आतंकवाद के नाम पर
कैद बेगुनाहों को छोड़ने की मांग को लेकर रिहाई मंच का धरना सोमवार को 118
वें दिन भी लखनऊ विधानसभा धरना स्थल पर जारी रहा।आज धरने में पीसी कुरील,
एहसानुल हक मलिक, कमर सीतापुरी, आदियोग, धमेंद्र, गुलाम गौस अंसारी,
अब्दुल हलीम सिद्दीकी, जौनपुर से आए औसाफ सिद्दीकी, जीशान अहमद, फरीद
खान, मुन्ना झा, मोहम्मद फुजैल, फैज फैज, सीतापुर से आए मुबश्रि हुसैन,
जियाउल हुसैन, मुजीबुर्रहमान, अबु दरदा अंसारी, तैमूर आलम कादरी, शिवदास
प्रजापति, तारिक शफीक, राजीव यादव और शाहनवाज आलम इत्यादि मौजूद थे।

द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
प्रवक्ता रिहाई मंच
09415254919, 09452800752
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