Sunday, September 15, 2013

शारदा मामला ठंडा और सेबी का डंडा ढीला पड़ते ही फिर चिटफंड कारोबार तेज होने लगा है।

शारदा मामला ठंडा और सेबी का डंडा ढीला पड़ते ही फिर चिटफंड कारोबार तेज होने लगा है।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


शारदा फर्जीवाड़ा मामला अब लगभग रफा दफा है और बंगाल नये सिरे से चिटफंड कंपनियों के शिकंजे में है। रोजवैली और एमपीएस जैसी बड़ीकंपनियों ने सेबी को ठेंगा दिखा दिया है। दूसरी ओर, केंद्र ने इस सिलसिले में सेबी के अधिकार बढ़ाने की घोषणा तो कर दी लेकिन चिटफंड कानून कानून बनाने की दिशा में अभी कोई हरकत नहीं है।इस पर तुर्रा यह कि बंगाल विधानसभा के विशेष अदिवेशन में पारित विधेयक भी खटाई में है।


वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा है कि चिटफंड कंपनियों के शिकार आम जनता का पैसा वापस लौटाने की समुचित व्यवस्था की गई है। दूसरी ओर दीदी ने भी फर्जीवाड़े के शिकार लोगों को मुआवजा देने के लिए सिगरेट परटैक्स लगाकर पांच सौ करोड़ रुपये के फंड का ऐलान कर दिया है। शारदा मालिक सुदीप्तो और उनकी खासमखास देवयानी सरकारी मेजबानी में तमाम साथियों के साथ मौज में हैं। बड़े लोगों से कोई पूछताछ हुई ही नहीं। लोगो को न मुआवजा मिल रहा है,न रिकवरी की कोई उम्मीद है और न चिटफंड कारोबार बंद हुआ है।शारदा मामला ठंडा और सेबी का डंडा ढीला पड़ते ही फिर चिटफंड कारोबार तेज होने लगा है।कोलकाता में बाकायदा आडोटोरियम किराये पर लेकर चिटफंड कंपनियां एजंटो की बैठकतक आयोजित करने लगी है।


सीबीआई जांच टाय टाय फिस्स


बंगाल की तरह असम और त्रिपुरा में भी शारदा फर्जीवाड़े को लेकर खूब हंगामा हुआ।असम में कांग्रेस की सरकार है तो त्रिपुरा में वाममोर्चे की इकलौती सरकार।बंगाल में मां माटी मानुष की सरकार ने इस फर्जीवाड़े में फंसे तमाम दिग्गजों को क्लीन चिट दे दी और सीबीआई जांच से इंकार करते हुए विशेष जांच दल और जांच आयोग का गठन कर दिया। असम पुलिस कोलकाता आकर सुदीप्त और देवयानी  से पूछताछ भी कर गयी। असम और त्रिपुरा की सरकारों ने सीबीआई जांच का भी ऐलान कर दिया। लेकिन कहीं भी कुछ नहीं हुआ। निवेशकों को न कुछ मिला और न गोरखधंधा बंद हुआ।


शारदा मामले में चार्ज शीट नहीं


हाईकोर्ट के निर्देशानुसार विशेष अदालत का गठन न हो पाने से शारदा मामले में चार्जशीट ही दाखिल नहीं हो पाया है।अभियुक्त एक थाने से दूसरे थाने तक,एक अदालत से दूसरी अदालत तक सैलानी की तरह घूम रहे हैं और उनकी सरकारी मेजबानी का खर्च करदाता उठा रहे हैं।


मुआवजे का  फिर वायदा


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शारदा फर्जीवाड़े के शिकार लोगों से फिर लक्ष्मीपूजा से पहले मुावजा के भुगतान कर देने का वायदा किया है। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में शारदा फर्जीवाड़े के शिकार लोगों के लिए पश्चिमबंगाल क्षतिपूर्ति योजना 2013 को मंजूरी दे दी गयी है। मुख्यमंत्री ने इस योजना के लिए 500 करोड़ की राशि ही मंजूर की है।मुक्यमंत्री के मुताबिक श्यामल सेन आयोग शारदा समूह की संपत्ति बेचकर फर्जीवाड़े के शिकार लोगों के लिे मुावजे की रकम जुटायेगी।


17,31,065 आवेदन प्राप्त


देश के छोटे निवेशकों से जुड़े बड़े वित्तीय घोटालों में से एक सारदा घोटाले की जांच फिलहाल जारी है। जांच आयोग के प्रमुख न्यायमूर्ति श्यामल कुमार सेन ने उम्मीद जताई है कि एक महीने के भीतर मुआवजे के भुगतान की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। आयोग को मुआवजे की मांग से संबंधित 17,31,065 आवेदन प्राप्त हुए हैं। इनमें से अधिकांश लोगों ने शारदा में रकम जमा कराई थी। हालांकि अमेजॉन, सुराह माइक्रोफाइनैंस, सन्मार्ग, आईकोर, रोज वैली, अलकेमिस्ट जैसी अन्य कंपनियों के निवेशकों ने भी आयोग में शिकायत दर्ज की है। आयोग को न केवल सारदा बल्कि इस प्रकार की सभी कंपनियों के मामले देखने का अधिकार दिया गया है। लेकिन आयोग ने  मुख्य रूप से सारदा पर ध्यान केंद्रित किया है। अब तक 6,500 मामलों की सुनवाई हो चुकी हैं। प्राप्त आवेदनों के लिए आंकड़ों की प्रॉसेसिंग चल रही है और इसमें थोड़ा वक्त लगेगा। मोटे तौर पर 86 से 87 फीसदी शिकायतें 10,000 रुपये से कम निवेश की हैं। शारदा में किसी व्यक्ति का सबसे बड़ा निवेश 27 लाख रुपये का था। लेकिन इस मामले से संबंधित कुल रकम के आकलन में थोड़ा वक्त लगेगा।। मुआवजे के भुगतान में गरीबों को प्राथमिकता दी जाएगी। प्राथमिकता पहले गरीब निवेशकों को मुआवजा देने की है और इनमें से अधिकांश लोगों ने निवेश करीब 10,000 रुपये का है।



नयी बचत योजना पांच अक्तूबर से


आम लोगों को चिटफंड कंपनियों के मकड़जाल से बचाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नयी बचतयोजना शुरू करने की घोषणा की है. इसे सुरक्षित जमा योजना (सेफ सेविंग स्कीम) नाम दिया गया है।दीदी ने राइटर्स में बताया कि यह योजना पांच अक्तूबर से शुरू  होगी। कोईव्यक्ति कम से कम 1000 रुपये और अधिकतम एक लाख रुपये जमा कर सकता है। एक परिवार अधिकतम पांचलाख रुपये जमा कर सकता है। पश्चिम बंगाल वित्तीय विकास निगम यह बचत योजना चार राष्ट्रीयकृत बैंकोंएसबीआइ, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक तथा इलाहाबाद बैंक के माध्यम से संचालित करेगा।एक वर्ष से पांच वर्ष की अवधि के लिए रकम जमा की जा सकती है। तीन माह बाद पैसा निकालने की अनुमति होगी। यह पूछने पर कि क्या टैक्स छूट मिलेगी, बनर्जी ने कहा कि योजना शुरू होने के समय यह स्पष्ट कर दियाजायेगा।


उन्होंने कहा कि जमा राशि पर बैंकों के समान ही ब्याज मिलेगा। यह पूछे जाने पर कि लोग बैंक की जगहसरकार की योजना में निवेश क्यों करेंगे, मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगी। उन्होंने कहाकि कई स्थानों में अभी भी बैंक व पोस्ट ऑफिस की सुविधा नहीं है। जिस तहर से शिविर लगा कर किसानक्रेडिट कार्ड बनाये जाते हैं।उसी तरह से शिविर लगा कर बचत योजना को प्रोत्साहित किया जायेगा। इस माह 30 सितंबर को ग्रामीण बैंककी 25 नयी शाखाएं खोली जायेंगी। इस वित्त वर्ष के अंत तक 200 नयी शाखाएं खोलने जाने की योजना है।गौरतलब है कि शारदा चिटफंड घोटाले के बाद राज्य सरकार ने सुरक्षित जमा योजना लाने की घोषणा की थी।


खास बात है कि इस बचत योजना के बारे में सेबी या रिजर्व बैंक की नीति अभी साफ नहीं हुई है।


ओड़ीशा में खूब हंगामा बरपा


अब ओड़ीशा में खूब हंगामा बरपा है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जुएल उरांव ने पार्टी कार्यालय में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में कहा कि चिटफंड घोटाले में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से लेकर कई मंत्री व विधायक भी शामिल हैं। घोटाले से पर्दा उठाने के लिए सीबीआइ जांच की जरूरत है।चलिये, बंगाल मेंतमाम नाम आये। लेकिन मुख्यमंत्री तो आरोपों केघेरे में नहीं हैं।ओड़ीशा विधानसभा में विपक्षी सदस्यों ने सरकार को निशाने पर लेते हुए चिटफंड भ्रष्टाचार में मंत्री व विधायकों के संपृक्त होने का आरोप लगाया है। विपक्षी सदस्यों ने मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग करते हुए कहा कि सच्चाई सामने आने के लिए सीबीआइ की जांच जरूरी है।विपक्षी दल के मुख्य सचेतक प्रसाद हरिचंदन ने कहा कि सन 2002 से चिटफंड का गोरखधंधा चल रहा है और सरकार हाथ बांधकर बैठी हुई है। राज्य के 20 लाख से अधिक लोग चिटफंड घोटाले का शिकार हुए हैं। लोगों का 50 हजार करोड़ से अधिक का घाटा हुआ है। इस महाघोटाले में शासक दल के अनेक विधायक व मंत्री शामिल हैं। इसलिए सरकार कड़े कदम उठाने से पीछे हट रही है। नेता विपक्ष भूपिन्दर सिंह ने कहा कि अगर सरकार इतनी ही स्वच्छ है तो इस संवेदनशील मुद्दे पर श्वेत पत्र क्यों नहीं ला रही है।


जांच की रस्म ओड़ीशा में भी


उरांव ने कहा कि सिर्फ दिखावे के लिए सरकार जांच करा रही है। उन्होंने कहा कि 22 जुलाई को राज्य सरकार के संयुक्त सचिव डा.एस.कानूनगो ने राज्यपाल के प्रमुख सचिव पराग गुप्ता को पत्र लिखकर कहा है कि क्राइमब्रांच की आर्थिक अपराध शाखा एटी ग्रुप, उत्कल भारती आदि की जांच की जा रही है। लेकिन इस बारे में एक व्यक्ति ने आरटीआई के माध्यम से इसकी जानकारी मांगी तो उसे क्राईमब्रामच की आर्थिक अपराध शाखा की ओर से 22 अगस्त को बताया कि वह ऐसी कोई जांच नहीं कर रहे हैं। ओराम ने कहा कि राज्य सरकार जो न्यायिक जांच आयोग बनाने की बात कह रही है, उससे लोगों को कोई फायदा नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि राज्य में 165 से अधिक चिटफण्ड कंपनियां जांच के दायरे में हैं और क्राईमब्रांच के मात्र 11 कर्मचारीजांच कर रहे हैं। न्यायिक जांच कर रहे जस्टिस पात्र आयोग के पास 2 लाख से अधिक हलफनामा पहुंच गया है, मगर आयोग के पास इनकी जांच के लिए मात्र 7 लोग हैं। भाजपा नेता ने कहा कि सरकार सिर्फ दिखावे के लिए चिटफण्ड घोटाले की जांच करा रही है, क्योंकि इस मामले में राज्य के कई नेता व मंत्री यहां तक कि खुद मुख्यमंत्री शामिल हैं। इस पत्रकार सम्मेलन वरिष्ठ भाजपा नेता अशोक साहू भी उपस्थित थे।









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