बंगाल के पहाड़ों में सरकारी कर्मचारियों को सिर्फ छह दिन का ही वेतन
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बंगाल के पहाड़ों में फिलहाल बंद वापस होने के साथ जनजीवन सामान्य होने के आसार है और पूजा की छुट्टियं में पहाड़ जाने के रास्ते खुल जाने से दार्जिलिंग और सिक्किम में पर्यटन उद्योग में जान पड़ गयी है। राजनीतिक तौर पर इसे बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नरम गरम रणनीति की कामयाबी बतायी जा रही है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेता विमल गुरुंग की हालत पतली हो गयी है और गुरुंग को पहाड़ सा निकालने के पोस्टर लगने शुरु हो गये हैं। राजनीति चाहे जो हो, पहाडड में गोरखालैंड आंदोलन की वजह से भारी संकट में हैं सरकारी कर्मचारी,जिन्हें अगस्त महीने में सिर्फ छह दिनों का वेतन मिलेगा।मोर्चा की अपाल पर बाकी महीने ये कर्मचारी अपने अपने दफ्तरों से गैरहाजिर रहे हैं। प्रशासन ने उन्हें थोक भाव से कारण बताओ नोटिस थमा दिया है। वेतन में कटौती के फैसले की जानकारी भी उन्हें दे दी गयी है।
फैसला बदलने के आसार कम
मोर्चा से संबद्ध हिल एम्प्लायीज संगठन ने हालांकि राज्य सरकार के इस फैसले को अदलत में चुनौती देने की चेतावनी दी है।लेकिन फैसला बदलने के आसार कम हैं।क्योंकि इस कार्रवाई से गोरखा जनमुक्ति मोर्चा को सरकारी कर्मचारियों का समर्थन टूटना तय है।कर्मचारियों के पास राज्य सरकार से अपील करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है।जबकि मोर्चा नेता इस मामले को कतई तरजीह देने को तैयार नहीं है।
अनुशासनात्मक कार्रवाई
बताया जा रहा है कि पहाड़ों में कार्यरत अस्सी फीसद सरकारी कर्मचारी वेतन कटौती के शिकार होंगे।यही नहीं, शो काज नोटिस के मुताबिक दफ्तरों में बिना अवकाश लंबी गैरहाजिरी के मद्देनजरउनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की तलवार भी लटक रही है।
बाकी राज्य से अलगाव
पहाड़ में सरकारी कर्मचारियों की संख्या 15 हजार के करीब है। मोर्चा को इनकी परवाह नहीं है जबकि बाकी राज्य के कर्मचारियों से भी मोर्चा ने इन्हें अलग कर दिया है।इस आत्मघाती अलगाव के कारण सरकार को चुनौती देने की भी हालत में नहीं हैं कर्मचारी।
बेपरवाह मोर्चा
मोर्चा को कर्मचारियों की समस्या से ज्यादा जेलों में बंद कार्यकर्ताओं और नेताओं की रिहाई की चिंता है।मोर्चा नेता जो वायदे कररहे हैं,उसपर कर्मचारियों को अब कोई भरोसा भी नहीं है।
छुट्टियों का हिसाब भी
जिला प्रशासन ने हालांकि साफ कर दिया है कि बंद के दौरान जो कर्मचारी एक दिन भी दफ्तर नहीं आये,उन्हें छह दिन का वेतन मिलेगा। बाकी लोगों को उनको मिलनेवाली छुट्टियों के हिसाब के मुताबिक वेतन का भुगतान कर दिया जायेगा।
बंद स्थगित
मालूम है कि केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के आश्वासन का हवाला देकर मोर्चा ने दुर्गोत्सव के दौरान बंद स्थगित कर दिया है।20 अक्तूबर तक बंद स्थगित है।इस फैसले की घोषणा करते हुए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) प्रमुख बिमल गुरुंग ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा गोरखालैंड मुद्दे पर त्रिपक्षीय वार्ता का आश्वासन दिया है जिसे संपन्न कराने के लिए आंदोलन निलंबित किया गया है।
गुरुंग ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा है, "जीजेएसी ने मंगलवार को अपना आंदोलन 20 अकूटबर तक रोकने का फैसला लिया है। यह केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की अपील को ध्यान में रखते हुए लिया गया है क्योंकि राज्य के मुद्दे पर होने वाली त्रिपक्षीय वार्ता के लिए जरूरी था। तय शर्तो के मुताबिक 20 अक्टूबर तक वार्ता हो जानी चाहिए।"
ममता बनर्जी नीत राज्य सरकार की 'दुश्मनी और टकराव वाले रवैए' के लिए आलोचना करते हुए गुरुंग ने तृणमूल सरकार से त्रिपक्षीय वार्ता में सहयोग की उम्मीद जताई है।
केंद्र का वायदा
केंद्र सरकार ने अलग गोरखालैंड राज्य की मांग के मसले पर चर्चा के लिए जल्द ही त्रिपक्षीय बैठक बुलाने का फैसला किया है। बैठक में केंद्र, पश्चिम बंगाल सरकार और गोरखालैंड संयुक्त कार्यसमिति (जीजेएसी) के प्रतिनिधि शामिल होंगे। केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने दार्जिलिंग से सांसद एवं भाजपा नेता जसवंत सिंह के नेतृत्व में आए गोरखा नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से कहा कि पृथक राज्य की मांग पर चर्चा के लिए केंद्रीय गृह सचिव अनिल गोस्वामी जल्द ही पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और जीजेएसी के नेताओं की बैठक बुलाएंगे।शिंदे ने संवाददाताओं से कहा, 'मैं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी इस मुद्दे पर बात करूंगा।' उन्होंने प्रदर्शनकारियों से अपील की कि वे दार्जिलिंग और आसपास के इलाकों में अनिश्चितकालीन हड़ताल समाप्त कर दें क्योंकि इससे जनता को परेशानी हो रही है।
अब भी गूंज रहा है गोरखा लैंड का नारा
इसके बावजूद अब भी गूंज रहा है गोरखा लैंड का नारा। दीदी के नरम गरम रणकौशल से अतंतः इस मसले का कैसे हल निकलेगा यह किसी की मझ से बाहर है। सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के मध्यपहाड़ों में जगह-जगह गोरखालैंड का नारा गूंज रहा है। सरकार की सख्ती भी जारी है।
फिर जीटीए सदस्य गिरफ्तार
जीटीए सदस्य उर्मिला रूंबा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसे स्थानीय अदालत में पेश किया जहां रूंबा को जमानत मिल गई। जमानतीय धारा होने की वजह से सीजेएम ने जमानत दे दी। रूंबा पर आंदोलन के दौरान राजपथ को जाम करने का आरोप है। एपीपी पंकज प्रसाद ने बताया कि सीजेएम विप्लव राय की अदालत से जमानतीय धारा होने की वजह से जमानत दे दी।रूंबा स्थानीय साउथ फिल्ड कॉलेज के प्रध्यापक भी हैं। गिरफ्तारी पर गोजमुमो ने तल्ख टिप्पणी की है। गोजमुमो नारी मोर्चा अध्यक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकार पहाड़ और आंदोलन को किस दिशा में ले जाना चाहती है। दमन की भी कोई हद होती है। आंदोलन के दौरान जारी षडयंत्र जारी है। चेतावनी भरे लहजे में कहा कि कहीं, सब्र का बांध टूट ना जाए। सरकार को वह दिन नहीं भूलना चाहिए जब हमने करीब चार वर्षो तक आंदोलन को जारी रखा था। सरकारी हस्तक्षेप से पहाड़ का विकास रूक गया है। प्रदर्शनकारियों ने चौरास्ता पर धरना दिया और गोरखालैंड के समर्थन में नारे लगाए। पारंपरिक वेशभूषा में गोरखालैंड समर्थक आए थे।
कालिम्पोंग में धरना
कालिम्पोंग में गोरखालैंड एक्शन कमेटी के आयोजन में अलग राज्य के समर्थकों ने मेला ग्राउंड में धरना दिया। सभी पारंपरिक वेशभूषा में मौजूद थे। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 34 संख्या समष्टि होम्स भालूखोप के कार्यकर्ताओं ने धरना दिया। इस अवसर पर क्रामाकपा के किशोर प्रधान ने कहा कि हमारे आंदोलन का असर जरूर होगा। यह जारी रहेगा। गोजमुमो महकमा सचिव कुमार चामलिंग ने जातीय पोशाक में लोगों से आने की अपील की। इस अवसर पर क्रामाकपा के मोहन पौडयाल, गोजमुमो के तारा लेप्चा लोहार व अन्य उपस्थित थे। आंदोलनकारियों ने महकमा शासक की अनुपस्थिति में डिप्टी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा। मिरिक के झील परिसर में भी अलग राज्य के समर्थकों ने धरना दिया। परिवर्तित स्वरूप में गोरखालैंड आदोलन की शुरुआत शुक्रवार से हो गई।
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