Friday, September 13, 2013

दीदी के स्पर्श से पाषाण बने हावड़ा जनपद में प्राण प्रतिष्ठा की प्रतीक्षा

दीदी के स्पर्श से पाषाण बने हावड़ा जनपद में प्राण प्रतिष्ठा की प्रतीक्षा


मुश्किल यह है कि हावड़ा शहर और पूरे जनपद में आधे अधूरे विकास कार्यों,लंबित परियोजनाओं की लिस्ट बहुत लंबी है।उनके कार्यन्वयन के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बाकी कार्यकाल हावड़ा में बिताना पड़े,तोभी कम है।ईस्टवेस्ट मेट्रो रेल को मंदिरतला शालीमार तक ले जाने की योजना है,जमीन समस्या्बी उलझी हुई है।गंगा किनारे सौंदर्यीकरण तो हो रहा हैऔर यातायात में भी क्रांतिकारी सुधार होने जा रहे हैं,लेकिन हावड़ा की पहचान जिस चीज के लिए है,वैसा खुशहाल औद्योगिक कारोबारी माहौल कब बनेगा,कब पुनर्जीवित होंगे तमाम कल कारकाने,उद्योग धंधे,हावड़ावासियों को अब इसीका इंतजार है। कोलकाता वेस्ट इंटरनेशनल सिटी प्रेतनगरी है,उसमें कब दीदी प्राण फूंकेंगी,इतजार इसका भी।सलप पुल अरसे से टूटा है,कब बनेगा,लोग बेसब्र हैं। धूलागढ़ टर्मिनल रद्द है,उसका क्या होगा।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​



हावड़ा में राजधानी का स्थानांतरण हो रहा है।पांच सौ साल पुराने जनपद की उपेक्षा का सिलसिला बंद होने की उम्मीद में हैं लोग।कभी कोलकाता नहीं,बल्कि उलुबेड़िया को राजधानी बनाने की योजना थी अंग्रेजों की।मराठों और पेशवा की सेना के डर से तब हुगली पार चली गयी राजधानी।ठीक सवा तीन सौ साल बाद हावड़ा की किस्मत ने करवट बदली है।


हुगली किनारे विकास और सौंदर्यीकरण की धूम है और पहली अक्तूबर से राइटर्स के साथ दीदी मंदिरतला महाकरण में बैठने लगेंगी।


अब इसमें कोई शक की गुंजाइश है ही नहीं कि स्थाई हो या अस्थाई,पहली अक्तूबर से बंगाल की राजधानी कोलकाता नहीं, हावड़ा है।


अल्टीमेटम

गुरुवार को भी हावड़ा में दीदी का व्यस्त कार्यक्रम रहा।शरत सदन में विकास कार्यों के लिए बैठक में योजनाओं को लागू करने के लिए अल्टीमेटम भी उन्होंने दे दिया।आम सभाओं को भी संबोधित करके विकास का जुनून पैदा कर दिया है दीदी ने।


शरत सदन हॉल में मंत्रियों व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ लगभग दो घंटे तक चली बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अधिकारियों को साफ व कड़े शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि, किसी भी काम को फेंक कर नहीं रखें। मैं चाहती हूं कि रुके हुए काम को जल्द से जल्द पूरा किया जाये. उन्होंने हॉल में बैठे अधिकारियों से कहा : मेरा किसी प्रति कोई दुर्बलता नहीं रखती हूं. मैं सिर्फ काम देखना चाहती हूं।जिन्हें काम करने से परेशानी हों, वे खुद से हट जायें व काम करनेवाले अधिकारियों को सामने लायें। दीदी ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि 100 दिनों का काम ठीक से नहीं हुआ है। दीदी ने अफसोस जताया कि अल्पसंख्यकों के लिए विकास कार्य ठीक से नहीं किये गये हैं। कृषि विभाग से जुड़े एक परियोजना भी ठीक से पूरी नहीं होने के लिए मुख्यमंत्री ने संबंधित मंत्री व अधिकारी पर नाराजगी जतायी।


लंबी फेहरिस्त


मुश्किल यह है कि हावड़ा शहर और पूरे जनपद में आधे अधूरे विकास कार्यों,लंबित परियोजनाओं की लिस्ट बहुत लंबी है।उनके कार्यन्वयन के लिए मुख्यमंत्री को बाकी कार्यकाल हावड़ा में बिताना पड़े,तोभी कम है।ईस्टवेस्ट मेट्रो रेल को मंदिरतला शालीमार तक ले जाने की योजना है,जमीन समस्या्बी उलझी हुई है।


गंगा किनारे सौंदर्यीकरण तो हो रहा हैऔर यातायात में भी क्रांतिकारी सुधार होने जा रहे हैं,लेकिन हावड़ा की पहचान जिस चीज के लिए है,वैसा खुशहाल औद्योगिक कारोबारी माहौल कब बनेगा,कब पुनर्जीवित होंगे तमाम कल कारकाने,उद्योग धंधे,हावड़ावासियों को अब इसीका इंतजार है।


कोलकाता वेस्ट इंटरनेशनल सिटी प्रेतनगरी है,उसमें कब दीदी प्राण फूंकेंगी,इतजार इसका भी।सलप पुल अरसे से टूटा है,कब बनेगा,लोग बेसब्र हैं। धूलागढ़ टर्मिनल रद्द है,उसका क्या होगा।


धूलागढ़ ट्रक टर्मिनल रद्द


अभी अभी भ्रष्टाचार के आरोप में  बहुप्रतीक्षित धूलागढ़ ट्रक टर्मिनल रद्द हो गया।कोना एक्सप्रेसवे,दिल्ली रोड और मुंबई रोड से सीधे जुड़े धूलागढ़ यकीनन तौर पर ट्रक टर्मिनल के लिए आदर्श है। कोलकाता वेस्ट सलेम समझौता की वजह से अंधकार हो गया। उसकी किसी धड़कन की भी खबर नहीं है। अब धूलागढ़ का क्या होगा,इसकी फिक्र है लोगों को।


हावड़ा और कोलकाता में कारोबार के लिए बाहरी राज्यों से माल की आवक में अवरोध पैदा हो गया अचानक।पश्चिम बंगाल परिवहन संरचना विकास निगम डब्लूबीटीआईटीसी ने बेसरकारी संस्था कोलकाता मुंबई ट्रक टर्मिनल लिमिटेड के साथ करार खत्म कर दिया है।निगम की बोर्ड मीटिंग में धूलागढ़ टरिमनल को मौत की सजा दे दी गयी।


इस प्रस्तावित ट्रक टर्मिनल में हुए भ्रष्टाचार के मामले में जांच के आदेश जारी कर दिये हैं परिवहनमंत्री मदन मित्र ने।इस ट्रक टर्मिनल के नाम पर सीलिंग से बाहर 42.30 एकड़ जमीन पर बेसरकारी संस्ता कैसे काबिज है,जिलाधीश इसकी जांच करेंगे।


गौरतलब है कि दिवंगत सुभाष चक्रवर्ती ने बाहैसियत परिवहन मंत्री वाम जमाने में इस ट्रक टर्मिनल को बनाने की पहल की थी।


मदनबाबू के मुताबिक इस बेसरकारी संस्था के साथ पश्चिम बंगाल परिवहन संरचना विकास निगम डब्लूबीटीआईटीसी के समझौते के कागजात गायब हैं। संस्ता के मालिक प्रोमोटर हैं और उनके साथ दिवंगत परिवहन मंत्री के अंतरंग संबंध थे।


मदन मित्र ने आरोप लगाया है कि वाम जमाने में राजारहाट और उल्टाडांगा में भी परिवहन महकमे में भ्रष्टाचार के मामले हैं,जिनकी जांच होगी।



उम्मीदें बांधकर ठगे से रह गये


पिछले तीन दशक से हावड़ा शहर और जनपद के लिए एक के बाद एक प्रकल्प की घोषमा होती रही।हावड़ा राजनीति का गढ़ बना रहा।पैंतीस साल के लाल रंग को तिलांजलि देकर अब हावड़ा में सबकुछ हरा हरा है।


अपने लाल दुर्ग के लिए घोषणाएं कुछ कम नहीं हुई वाम जमाने में।चुनाव होते रहे।पार्टी जीतती रही। फिर सत्ता ही पलट गयी।फिर घोषणाओं की बौछार।लेकिन सारे के सारे काम आधे अधूरे होने की वजह से हावड़ा का नाम गिनीज बुक आफ रिकार्ड्स में दाखिल करने लायक है।


हमेशा उम्मीदें बांधकर ठगे से रह गये हावड़ा में लोग।


टाटका उदाहरण


कुछ दिनों पहले हावड़ा टाउन हाल के भीतर लीपापोती और मामूली मरम्मतकरके ही मेयर ममता जायसवाल ने टाउन हाल के कायाकल्प का काम पूरा कर दिया और नये टाउन हाल का उद्घाटन बी कर दिया।जबकि टाउन हाल जस का तस है।


बाहर की जीर्णावस्था बदली नहीं और अब भी यह खतरनाक इमारत है।


बगल में ध्वस्तप्राय स्वास्थ्य भवन को तोड़कर वहां बागान लगाने की परियोजना बहुत पुरानी है,लेकिन इस परियोजना में कोई प्रगति नहीं हुई अभीतक।


असंपूर्ण परियोजनाएं


1991 में सालकिया चौरास्ता पर पांच सौ मीटर लंबे उड़नपुल बनाने का काम शुरु हुआ।अगले साल ही निर्माण ठप।


श्री अरविंद रोड पर सालिखा हरगंज बाजार का 1984 में शिलान्यास हुआ।काम बारह साल बाद 1996 में शुरु हुआ जो अब भी अधूरा है।


ईस्ट वेस्ट रोड के किनारे 2001 में फल व सब्जी विपणन केंद्र का शिलान्यास हो गया।लेकिन काम अब बारह साल बाद भी शुरु हो नही हो सका।


बाली नगरपालिका में 18 अगस्त, 1985 को बाली खाल बसस्टैंड का शिलान्यास हो गया।तब से लेकर अब तक फूरे अट्टाइस साल के दरम्यान कुछ भी नहीं हुआ।


बेलगछिया के बगाड़ में गंदगी का पहाड़ बना हुआ है।तीस साल में भी भगाड़ के लिए वैकल्पिक स्थान नहीं मिला।


डोमजूर रोड पर जगदीळपुर हाट के पास 2002 में बस टर्मिनल का काम शुरु होकर अब तक अटका हुआ है।


लिलुआ बाली झील की सफाई का काम तीस साल से रुका हुआ है।


हावड़ा नगरनिगम में 1992 से पूरे इक्कीस साल फूड इंस्पेक्टर का पद रिक्त है।


हावड़ा में 15 मार्च, 1991 को  56 एकड़ जमान पर बनने वाले डुमुरजला स्पोर्ट्स कांप्ल्केस का शिलान्यास हुआ। बािस साल बीत गये,काम ही शुरु नहीं हुआ।


23 नवंबर,2000 को पश्चिम हावड़ा विपणन केंद्र नामक पालिका बाजार का उद्बोधन हो गया।दुकानें अबतक नहीं बनीं।वहां अपराधकर्म का कारखाना बन गया।मादक द्रव्य सप्लाई केंद्र।


हावड़ा नगरनिगम के संयोजित इलाकों में बीस साल में भी घर घर होल्डिंग नंबर आबंटित नहीं हो सके।


हावड़ा नगरनिगम के पाचास वार्डों के अधिकांश में अभीतक जलापूर्ति के लिए पाइपलाइन बिछाने का काम ही नहीं हुआ है।





No comments:

Post a Comment