Wednesday, July 4, 2012

Fwd: [अपना मोर्चा] कुछ रक्षा विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सारकेगुड़ा में...



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From: Himanshu Kumar <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2012/7/4
Subject: [अपना मोर्चा] कुछ रक्षा विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सारकेगुड़ा में...
To: अपना मोर्चा <ApnaMorcha@groups.facebook.com>


कुछ रक्षा विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सारकेगुड़ा में...
Himanshu Kumar 4:53pm Jul 4
कुछ रक्षा विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सारकेगुड़ा में आदिवासी आधी रात में कौन सी पूजा कर रहे थे ? आदिवासियों की पूजा तो शाम को छह बजे समाप्त हो जाती है !

सच यह है कि यह आदिवासी माटी पंडूम मना रहे थे !
जो बस्तर के बारे में जानते हैं उन्हें पता है कि फसल बोने से पहले आदिवासी माटी त्यौहार मनाते हैं ! इसे "माटी पंडूम " या " विज्जा " कहते हैं ! इसमें आदिवासी अपने घर से एक एक मुर्गा लेकर पहुँचते हैं बलि दी जाती है खाना बनता है ! और पिछले साल की फसल के संभाल कर रखे गये धान के बीज की पूजा की जाती !सभी लोग रात भर पेन मंडप में रहते हैं ! रात भर क़िस्से कहानी चलती हैं ! अगले दिन सभी आदिवासी शिकार पर निकल जाते हैं इसे वेटा कहा जाता है ! इसमें कई बार आस पास के कई गाँव के लोग मिल कर शिकार पर जाते हैं तो उसे जुडूम कहा जाता है !

इसी सामूहिक शिकार जुडूम से सलवा जुडूम का नामकरण किया गया है !

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